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Saturday, March 15, 2014
Friday, March 14, 2014
Thursday, March 13, 2014
Political humor :- हे भगवान आपका लाख लाख शुक्रिया।।
हे भगवान आपका लाख लाख शुक्रिया।।
आपने अरविंद केजरीवाल को औरत नहीं बनाया
वरना आधा देश रेप के झूठे इल्जाम में अन्दर होता। ...
आपने अरविंद केजरीवाल को औरत नहीं बनाया
वरना आधा देश रेप के झूठे इल्जाम में अन्दर होता। ...
Wednesday, March 12, 2014
Political Humor : When Arvind Kejriwal says "Everyone is corrupt... Only I am honest."
When Arvind Kejriwal says
"Everyone is corrupt... Only I am honest."
... it reminds me of Sunny Leone's
.
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"Yeh Duniya Pital Di....
Baby Doll main Sone di"
"Everyone is corrupt... Only I am honest."
... it reminds me of Sunny Leone's
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"Yeh Duniya Pital Di....
Baby Doll main Sone di"
Long sms: पादना बुरी बात नहीं है भाइयों..
पादना बुरी बात नहीं है भाइयों..
=============================
आज में ऐसे विषय पर बात कर रहा हूँ जो इंसान के इस पृथ्वी पर
आगमन के समय से ही सदा बेहद उपयोगी किन्तु बेहद उपेक्षित
विषय रहा है और जिसका नाम
लेना भी असभ्यता समझी जाती है जैसे भद्दी गाली बोल
दी हो. इसको सरल भाषा में 'पाद' और पढ़े लिखे
लोगों की भाषा में 'अपानवायु' कहते हैं. दरअसल
शब्दों का निर्माण करने वालों पर नये
शब्दों की कमी थी या अन्य कोई दूसरा कारण रहा हो, उन्होंने
पाद के भी दो अर्थ बना दिए : एक 'पाद' का अर्थ पैर होता है
और दूसरे 'पाद' का अर्थ होता है- पादना या पाद देना या पाद
दिया.
इसको बच्चा बच्चा जानता है क्योंकि पादना ही है जो जन्म के
आरम्भ से ही बच्चों का मनोरंजन करता आया है और इसीलिये
बच्चे कहीं भी पाद देते हैं तब उन्हें बड़े उन्हें सिखाते हैं- 'बच्चे, यूँ
कहीं भी पाद देना उचित नहीं हैं'.
अब भाइयों और बहनों, इन बडों को कौन सिखाए
कि पादा भी क्या अपनी इच्छा से जाता है ? अरे, वो तो खुद
ही आता है. अगर प्रधानमंत्री को भरी सभा में पाद आये
तो पादेंगे नहीं क्या ? पाद पर किसी तरह का नियंत्रण संभव
ही नहीं है. यदि आपने डाक्टरी चेकअप कराया हो तो ध्यान
होगा कि डाक्टर ने आपसे यह सवाल भी किया होगा कि पाद
ठीक से आता है कि नहीं ? क्योंकि डाक्टर जानता है कि पाद
चेक करने की अभी तक कोई अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं बनी. ये
तमाम चूरन, चटनी, हाजमोला जैसी गोलियों का करोङों-
अरबों रुपये का कारोबार केवल इसी बिन्दु पर तो निर्भर है
ताकि जनता ठीक से पादती रहे.
यदि आपको दिन में 4 बार और रात को लगभग 10 बार अलग अलग
तरह के पाद नहीं आते तो आपके द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले
पाउडर, क्रीम,सेन्ट और स्प्रे- सब बेकार है
क्योंकि निश्चयतः अन्दर से आपका सिस्टम बिगड़ चुका है.
यदि पेट ही ठीक से काम नहीं कर रहा है तो अन्य अंगो को पोषण
कहाँ से मिलेगा ? इसलिये पादने में संकोच न करें और भरपूर पादें
क्योंकि पादना बुरी बात नहीं है, भाइयों और बहनों...
अथ पाद विश्लेषण :
=============
पाद के पांच प्रकार होते हैं :
1-पादों का राजा है- 'भोंपू'- हमारे पूर्वज इसे उत्तम पादम् कहते
थे. यह घोषणात्मक और बलशाली होता है. इसमें आवाज
ज्यादा और बदबू कम होती है अतः जितनी जोर आवाज
उतनी कम बदबू.
2-'शहनाई'- हमारे पूर्वजों ने इसे मध्यमा कहा है. इसमें से आवाज
निकलती है- ठें ठें या पूंऊऊऊऊऊ…
3-'खुरचनी'- जिसकी आवाज पुराने कागज के फाड़ने
जैसी सरसराहट होती है. यह एक बार में निकलती है फिर एक के
बाद एक कई 'पिर्र पिर्र पिर्र पिर्र' की आवाज के साथ आती है.
यह गरिष्ठ भोजन करने से होता है.
4-'तबला'- यह अपनी उद्घोषणा केवल एक 'धाँय' के आवाज के
साथ करता है. तबला एक खुदमुख्तार पाद है क्योंकि यह अपने
मालिक के इजाजत के बगैर ही निकल जाता है और अगर कोई
पादक बेचारा लोगों के बीच बैठा हो तो बिना कसूर के
शर्मिन्दा हो जाता है.
5- 'फुस्की'- यह एक निःशब्द 'बदबू बम ' है. चूँकि इसमें आवाज
नहीं होती है इसलिए ये पास बैठे व्यक्ति को बदबू का गुप्त दान
देने के लिए सर्वोत्तम है. चतुर दानदाता अपनी नाक को बंद कर के
'मैंने नहीं पादा है'- का ढोंग बड़े आसानी से करता है. गुप्त दान
देने के बाद आप जापानी कहावत- 'जो बोला, सो पादा' के
अनुसार लोगों को स्वयं ही ताड़ने दीजिए, आप चुप रहिए.
अब भाइयों आप पाद की श्रेणी निर्धारित करते हुए
गुझिया खाइये और अपने पाद का निर्विघ्न आनन्द उठाइये.
होली की शुभकामनाएँ.
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आज में ऐसे विषय पर बात कर रहा हूँ जो इंसान के इस पृथ्वी पर
आगमन के समय से ही सदा बेहद उपयोगी किन्तु बेहद उपेक्षित
विषय रहा है और जिसका नाम
लेना भी असभ्यता समझी जाती है जैसे भद्दी गाली बोल
दी हो. इसको सरल भाषा में 'पाद' और पढ़े लिखे
लोगों की भाषा में 'अपानवायु' कहते हैं. दरअसल
शब्दों का निर्माण करने वालों पर नये
शब्दों की कमी थी या अन्य कोई दूसरा कारण रहा हो, उन्होंने
पाद के भी दो अर्थ बना दिए : एक 'पाद' का अर्थ पैर होता है
और दूसरे 'पाद' का अर्थ होता है- पादना या पाद देना या पाद
दिया.
इसको बच्चा बच्चा जानता है क्योंकि पादना ही है जो जन्म के
आरम्भ से ही बच्चों का मनोरंजन करता आया है और इसीलिये
बच्चे कहीं भी पाद देते हैं तब उन्हें बड़े उन्हें सिखाते हैं- 'बच्चे, यूँ
कहीं भी पाद देना उचित नहीं हैं'.
अब भाइयों और बहनों, इन बडों को कौन सिखाए
कि पादा भी क्या अपनी इच्छा से जाता है ? अरे, वो तो खुद
ही आता है. अगर प्रधानमंत्री को भरी सभा में पाद आये
तो पादेंगे नहीं क्या ? पाद पर किसी तरह का नियंत्रण संभव
ही नहीं है. यदि आपने डाक्टरी चेकअप कराया हो तो ध्यान
होगा कि डाक्टर ने आपसे यह सवाल भी किया होगा कि पाद
ठीक से आता है कि नहीं ? क्योंकि डाक्टर जानता है कि पाद
चेक करने की अभी तक कोई अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं बनी. ये
तमाम चूरन, चटनी, हाजमोला जैसी गोलियों का करोङों-
अरबों रुपये का कारोबार केवल इसी बिन्दु पर तो निर्भर है
ताकि जनता ठीक से पादती रहे.
यदि आपको दिन में 4 बार और रात को लगभग 10 बार अलग अलग
तरह के पाद नहीं आते तो आपके द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले
पाउडर, क्रीम,सेन्ट और स्प्रे- सब बेकार है
क्योंकि निश्चयतः अन्दर से आपका सिस्टम बिगड़ चुका है.
यदि पेट ही ठीक से काम नहीं कर रहा है तो अन्य अंगो को पोषण
कहाँ से मिलेगा ? इसलिये पादने में संकोच न करें और भरपूर पादें
क्योंकि पादना बुरी बात नहीं है, भाइयों और बहनों...
अथ पाद विश्लेषण :
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पाद के पांच प्रकार होते हैं :
1-पादों का राजा है- 'भोंपू'- हमारे पूर्वज इसे उत्तम पादम् कहते
थे. यह घोषणात्मक और बलशाली होता है. इसमें आवाज
ज्यादा और बदबू कम होती है अतः जितनी जोर आवाज
उतनी कम बदबू.
2-'शहनाई'- हमारे पूर्वजों ने इसे मध्यमा कहा है. इसमें से आवाज
निकलती है- ठें ठें या पूंऊऊऊऊऊ…
3-'खुरचनी'- जिसकी आवाज पुराने कागज के फाड़ने
जैसी सरसराहट होती है. यह एक बार में निकलती है फिर एक के
बाद एक कई 'पिर्र पिर्र पिर्र पिर्र' की आवाज के साथ आती है.
यह गरिष्ठ भोजन करने से होता है.
4-'तबला'- यह अपनी उद्घोषणा केवल एक 'धाँय' के आवाज के
साथ करता है. तबला एक खुदमुख्तार पाद है क्योंकि यह अपने
मालिक के इजाजत के बगैर ही निकल जाता है और अगर कोई
पादक बेचारा लोगों के बीच बैठा हो तो बिना कसूर के
शर्मिन्दा हो जाता है.
5- 'फुस्की'- यह एक निःशब्द 'बदबू बम ' है. चूँकि इसमें आवाज
नहीं होती है इसलिए ये पास बैठे व्यक्ति को बदबू का गुप्त दान
देने के लिए सर्वोत्तम है. चतुर दानदाता अपनी नाक को बंद कर के
'मैंने नहीं पादा है'- का ढोंग बड़े आसानी से करता है. गुप्त दान
देने के बाद आप जापानी कहावत- 'जो बोला, सो पादा' के
अनुसार लोगों को स्वयं ही ताड़ने दीजिए, आप चुप रहिए.
अब भाइयों आप पाद की श्रेणी निर्धारित करते हुए
गुझिया खाइये और अपने पाद का निर्विघ्न आनन्द उठाइये.
होली की शुभकामनाएँ.
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